"हिन्दी मे अन्य भाषाओ के शब्दो का प्रचलन हिन्दी के लिए आशीर्वाद है या अभिशाप! "

हिन्दी हमारी मात्र भाषा है, ये तो हम भारतीय बहुत खूब जानते है! हिन्दी वह भाषा भी है जो हमारे देश को एक बनाती है! भाषा मे यह शमता है की ये केवल हमे अपनी बोली की सुंदरता और मिठास ही नही, बल्कि प्यार और प्रेरणा के भाव से भी न्युक्त करवाती है! हिन्दी एक एसी ही भाषा है, जो दिलो को केवल जोड़ती ही नही, बलकी बोली की सुंदरता का आभास करवाती है! हम किसी भी धर्म के या मझहब़के क्यों ना हो, हिन्दी भाषा हमे एक कर ही देती है! चाहे हम माने या ना माने, लेकिन हिन्दी भाषा से ही हमारी पहचान विश्व मे होती है! यह हम सभ भारतीयो के लिए बहुत फक्र की बात है!  
 अब बात आती है की हिन्दी भाषा क्या बदलती जा रही है? की क्या हम अपनी मात्र भाषा की रक्षा नही कर पा रहे? यह सवाल हमेशा पूछे जाते है, और उनपर काफ़ी चर्चा समय दर समय होती रहती है! हर एक व्यक्ति की सोच अलग रहती है, लेकिन बहुत व्यक्तियो की सोच एक जगह आकर मिलती है! ये विचार बहुत भिन्न भिन्न हो सकते है! मैने भी अपने मित्रो से इस विशय पर बात की, और उनके विचार जाने! हमारी सोच कभी मिलती तो कभी बहस होने जैसी स्तिथि आती! अंत मे हमे महसूस हुआ की हिन्दी भाषा की आज की तारीक़ मे क्या महत्वपूरयता है, और हिन्दी हमारे लिए कितनी अहम् है!  
 मेरी सोच से हिन्दी भाषा समय के साथ एक बदली से गुज़रती जा रही है! जैसे-जैसे भाषा का इस्तेमाल हमारे घरो से लेकर हमारे परिवेश मे होता आया है, ये बदली भी साथ ही साथ आई है! जब भारत की राजधानी देल्ही की बात आती है, तो यहा पर हमारे देश के अलग अलग भागो मे से हमारे भाई बंधु घूमने आते है! कई भाई बंदू यहा पर काम ढूंड लेते है और यहाँ पर ही बॅस जाते है! उनको हिन्दी सीखने मे समय लगता है और बहुत वक़्त उनका हिन्दी बोलने का लेह अलग हो जाता है, क्योंकि ये लेह उनका अपने शहेर का अपनाया हुआ होता है! हम सभ साथ रहते है, तो एक दूसरे से ही सीखते है, तो बहुत समय एक दूसरे के बोलने की लेह अपना लेते है! इसमे कोई दोराय नही है! उधारण के लिए हम, खरीबोली, हिन्दुस्तानी, ब्रज और अवधि बोली मे भी अंतर कर सकते है! जगह-जगह मे एक ही भाषा बोलने मे लेह और तरीके का फ़रक होता है! यह हिन्दी के लिए एक आशीर्वाद है, की भारत जैसे बड़े देश मे, अलग-अलग राज्यो के लोग हिन्दी को अपना रहे है, और एकाग्रता के भाव को व्यक्त कर रहे है! यह भी कहना ग़लत नही होगा की हिन्दी अपने आप मे अलग-अलग भाषाओ के जोड़ से बनी है! जैसे की अरबी, फ़ारसी और उर्दू के लव्ज़ भी हिन्दी मे आते है! देखा जाए तो भारत मे कई जगहो मे हिन्दी सिर्फ़ उर्दू और अँग्रेज़ी की वेसखियो पर ही कायम है! यह सच भी है की आजकल का युवा, सटीक हिन्दी समझ नही पाता! आज का युवा, हिन्दी को अन्य भाषाओ का मेल बना देता है! यह बोलने मे ज़्यादा आसान लगती है, और हर व्यक्ति को समझ भी अच्छे से जाती है! ये हिन्दी भाषा के लिए आशीर्वाद है!
लेखक: गगनदीप सिंह वेद  



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